Thursday, December 31, 2009

The Doll House


The Doll House || Size 1.4 GB

The Dolls are back in the House and they?re hornier than ever! The critically-acclaimed Doll House series continues as our anatomically-perfect collection of dick-loving dolls deliver more fantastic fucking action! Sure, they?re pretty as dolls but they?re also nastier than any sluts you?ve ever seen. Asses get crammed , dicks get jammed, balls get sucked and pussies get fucked in this non-stop fantasy-driven fuck-fest! The beauty of it all? You get to play house with our dolls and never have to worry about paying alimony!

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Monday, December 28, 2009

Raju Se Meri Pehli Chudai

राजू से मेरी पहली चुदाई

प्रेषिका : नेहा वर्मा
मैं अपना पहला सेक्स का अनुभव लिख रही हूं। उस समय मैं बी ए के दूसरे साल में पढती थी। सहेलियों की बातों से मुझे भी लड़कों से बात करने की इच्छा होने लगी थी। मैं दूसरी लड़कियों की तरह बनने संवरने लगी थी, मेक अप भी करने लगी थी। जब मैं कोलेज में पैन्ट पहन कर जाती थी तो उसमें से मेरे चूतड़ों की गोलाइयां बड़ी चिकनी और सुन्दर उभर कर दिखती थी। लड़के चोरी चोरी तिरछी निगाहों से मेरी गाण्ड को निहारते थे। जीन्स में मेरे बदन के कटस उतने उभर कर नहीं आते थे। लड़कों को इस तरह उकसाने में मुझे मज़ा भी आता था। मेरे मन में भी चुदाने की इच्छा होती थी कि सभी सहेलियां तो मज़े लेती हैं और मैं सिर्फ़ सुनती हूं।
मुझे कम्प्यूटर टीचर बहुत अच्छे लगते थे। वो नए नए आए थे, सुन्दर थे। उनके बाल हवा में उड़ते थे तो मैं देखती रह जाती थी। मैं उनके पास पास रहने की कोशिश करती थी। उन्हें सभी लोग राजू सर कह कर बुलाते थे। मेरी अदाओं को राजू समझता तो था, कहता कुछ नहीं था। पर चोरी चोरी मेरे स्तनों के उभार को और चूतड़ों की गोलाइयों को देखता था। मुझे लगा कि ये सर तो पट जाएंगे……थोड़ी कोशिश तो करनी पड़ेगी ही।
एक दिन मैंने उनसे पूछा - सर ! मैं आपसे ट्यूशन पढना चाहती हूं, क्या आप मुझे कम्प्यूटर सिखाएंगे?
“हाँ हाँ जरूर ..अपने पापा को बता देना …”
“पापा ने ही कहा है ..”
“कब से आऊँ ”
“कल से ……मोर्निंग ८.3० पर ”
“ थैंक यू सर ”
मैं दूसरे दिन छोटी स्कर्ट पहन कर और अन्दर एक छोटी सी पेंटी पहन कर बड़ी तैयारी के साथ इंतज़ार करने लगी. पेंटी इतनी छोटी थी कि झुकने पर पूरी चूतड दिख जाती थी. टॉप ढीला सा ..जो ऐसा था कि आधे बूब्स तो जरा सी कोशिश करने से ही नज़र आ जाते थे. मुझे लगा राजू के लिए इतना बहुत था.
राजू सर ८.३० पर आ गए. मेरे पापा ने उन से बात की …..फिर मुझे बैठक मैं बुला लिया.
पापा मम्मी ऑफिस की तैयारी करने लगे. राजू ने मुझे देखा तो वो देखता ही रह गया.
उसे घूरते देख कर मैं मन ही मन मुस्करा उठी. तीर निशाने पर लगा था.
मैंने कहा – “सर , आज कहाँ से शुरू करें …”
“हाँ हाँ बैठो ..पहले बुक्स ले आओ ..”
“मैं बुक लेकर आयी और सर के सामने उसे गिरा दिया. फिर उसे उठाने के लिए मैंने चूतड राजू की तरफ़ कर दिए और झुक गयी. मेरी गांड की दोनों गोलाईयां और छोटी सी पैंटी उसे दिखने लगी होगी. मैंने उसे तिरछी नज़र से देखा …तो मेरे चूतड की तरफ़ ही देख रहा था ….. उसे पसीना आ गया था … मेरा दिल भी ये सोच कर धड़कने लगा कि उसने पूरा देख लिया है. मैंने टेबल पर किताब रख दी.
मेरी नज़र उसकी पेंट पर चली गयी , जहाँ उसका लंड खड़ा हो रहा था. वो उसे दबा कर छुपाने लगा. उसने पढाना शुरू किया फिर मुझे कंप्यूटर के पास ले गया. उसने कहा “अब कंप्यूटर पर प्रैक्टिकल कर के बताता हूँ … सीट पर बैठो …”
छोटा गोल स्टूल रखा था, मैं थोडी सी गांड पीछे कि तरफ़ निकाल कर बैठ गयी.
वो कंप्यूटर पर कुछ कुछ बताता जा रहा था, पर मेरा ध्यान राजू पर था. राजू समझ गया था कि मेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं है. वो मेरी अदाओं से समझ गया था कि मैं उस से कुछ और ही चाहती हूँ. वो भी गरम होने लगा था. अब उसके इरादे साफ़ नज़र आने लगे थे. उसने अपनी टांगो से बार बार मेरे चूतडों को टच करना शुरू कर दिया.
मैं सिहर उठी …अब मैं जान गयी थी कि राजू मूड में आ गया है. अब वो मेरे हाथ के ऊपर हाथ रख कर और छू कर की बोर्ड और मोउस पर बताने लग गया था. अचानक मेरी नज़रें उसके चेहरे पर पड़ी तो देखा कि वो तो मेरी ढीली टॉप में से मेरे बूब्स को झांक कर देख रहा था. मैंने थोड़ा और अपना एंगल ऐसा कर दिया कि उसे देखने में कठिनाई न हो.
मैंने उसके लंड कि तरफ़ देखा तो वो भी खड़ा हो चुका था. अब वो कभी कभी मेरे कंधे के पास अपना लंड दबा देता था. मैं उसे ये सब करने दे रही थी. उसके लंड का मोटापन और साइज़ तक महसूस होने लगा था. ये सब जान कर मेरे बदन में कांटे खड़े होने लगे. मैंने भी अपना कन्धा ऐसे उछाला कि उसका लंड मेरे कन्धों से भिंच गया. उसके मुंह से आह निकल गई।
इतने में पापा ने आवाज़ लगाई- "हम जा रहे हैं…कोलेज़ जाओ तो घर ठीक से बंद कर देना।"
मैं उठी और बाहर खिड़की पर आकर उन्हें कार में जाते देखने लगी। अब घर में और कोई नहीं था, यह सोच कर मेरे दिल की धड़कन बढ गई। राजू भी खिड़की पर आ गया था। वो मुझे ही गहरी नज़रों से निहार रहा था. उसकी आंखों में सेक्स के डोरे नज़र आ रहे थे। मैंने सोचा अभी ये गरम है…मौका नहीं छोड़ना चहिए। पर हिम्मत नहीं हो रही थी।
राजू मेरे पास खड़ा हो कर अब इस तरह बाहर झांकने लगा कि उसका एक हाथ मेरे चूतड़ों पर आ गया था। उसने अपना हाथ हटाया नहीं। मुझे लगने लगा… हाय ! मेरे चूतड़ दबा दे ! मैं रोमांचित होने लगी। मैंने सोचा कि करने दो उसे…राजू ने शुरूआत कर दी थी, इसलिए मैं चुप ही खड़ी रही। मैंने उसकी तरफ़ मुस्कुरा के देखा। उसने भी नज़रें मिला दी और लगातार देखता ही रहा। उसकी हिम्मत भी बढी। उसने मेरी गाण्ड की गोलाइयों को सहलाना शुरू कर दिया।
मुझे मज़ा आने लगा था। मेरी इच्छा हो रही थी कि राजू कस के मेरे चूतड़ दबा दे। हम दोनो की नज़रें एक दूसरे में डूबने लगी। राजू भी मुस्कुराने लगा।
अचानक उसने नीचे से मेरी स्कर्ट में हाथ डाल कर मेरा एक चूतड़ पकड़ लिया।
मैंने राजू की तरफ़ एक बार प्यार भरी नज़र से देखा्। वो भी मुझे देख कर और पास आने लगा। आंखों आंखों में इशारे होने लगे। फ़िर उसने मुझे खिड़की से अन्दर खींच लिया… और मैं उसकी बाहों में खिंचती चली गई। उसने धीरे से कहा," नेहा…अब मुझ से सहा नहीं जा रहा है।"
उसने अपने होंठ मेरे नरम नरम होंठों पर रख दिए। उसके होंठ भी नरम नरम थे। वो मेरे होंठ चूसने लगा।
मैंने अपनी अदाएं भी दिखानी शुरू कर दी। मैंने कहा, " यह क्या कर रहें हैं सर आप ! सर ! मुझे छोड़ो ना…! अब नहीं करो.…शरम आ रही है मुझे…"
मेरी बात अनसुनी करके उसने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल कर मेरी गाण्ड की दोनो गोलाइयों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा। "आह… नहीं… नहीं करो…बस करो अब … सी स्स्…बस राजू…!
मैं मुड़ कर जाने लगी तो फ़िर पीछे से खींच लिया… और मेरी छोटी सी स्कर्ट उठा कर कमर से कस लिया… उसके दोनों हाथ मेरे स्तनों पर आ गए और उनको मसलने लगे। उसका कड़क लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा जा रहा था। मैं काम-पिपासा से जल उठी। मेरी पैन्टी तो नहीं के बराबर थी।
उसके लण्ड क स्पर्श चूतड़ों में बड़ा आनन्द दे रहा था।
मुझे पता चल गया था कि अब मैं चुदने वाली हूं। इसी समय के लिए मैं ये सब कर रही थी और इस समय का इन्तजार कर रही थी। उसके हाथ मेरे कठोर अनछुए स्तनों को सहला रहे थे, बीच बीच में मेरे चूचकों को भी मसल देते थे और खींच देते थे।
“आह्… सी सी मैं मर जाऊंगी… सर ! ”
“मुझे सर नहीं राजू कहो… तुम्हारे निप्पल कैसे सीधे और कड़े हैं…… ”
राजू को उभरी जवानी मसलने को मिल रही थी… और वो आनन्द से पागल हुआ जा रहा था।
उसका लण्ड और जोर मारने लगा और लगभग मेरी गाण्ड के छेद पर पहुंच चुका था। मेरी छोटी सी पैन्टी उसके लण्ड को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रही थी। मैं चुदवाने को तड़प उठी। वो तो मदमस्त हो कर ठोकर पर ठोकर मारे जा रहा था। उसने मेरी पैन्टी नीचे खींच दी और अपनी पैन्ट भी उतार दी और अपना लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया। मैंने उसकी तरफ़ देखा। फ़िर आंखों ही आंखों में इशारे हुए। उसकी अनकही भाषा मैं समझ गई। मैं घोड़ी बन गई। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर दबाव डालने लगा… मैं खुशी में झूम उठी। मेरी गाण्ड चुदने वाली थी। उसकी आंखें नशे में बंद हो गई थी। अब मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया। वो मेरे बूब्स भींच रहा था। मैं मस्त हुए जा रही थी…आंखें बंद कर ली और दूसरी दुनिया में आ गई।
उसी समय मेरी गाण्ड पर कुछ ठण्डा ठण्डा लगा। मैं समझ गई कि उसने मेरी गाण्ड में थूक लगाया है। मैं सोच रही थी कि अब मेरी गाण्ड पहली बार चुदेगी… इतना सोचा ही था कि उसने जोर लगा कर अपनी सुपारी मेरे छेद में घुसा दी। मेरे मुंह से आनन्द और दर्द भरी चीख निकल गई।उसने सुपारी निकाल कर फ़िर जोर से धक्का मार दिया। इस बार और अन्दर गया।
“राजू ! दर्द हो रहा है…..”
उसने कुछ नहीं कहा और थोड़ा सा निकाल कर जोर से धक्का मारा। उसका लण्ड पूरा मेरी गाण्ड में समा गया। मैं चीख उठी," राजू बाहर निकालो… जल्दी… बहुत दर्द हो रहा है… "
पर उसने तेजी से धक्के मारने चालू कर दिए। मैं कहती रही पर उसने मेरी एक ना सुनी। अब मुझे मज़ा आने लगा। उसने अब लण्ड निकाल कर पीछे से खड़े खड़े ही मेरी गीली चूत में घुसा दिया। पहली बार कोई लण्ड मेरी चूत में घुसा था। मुझे इसी का इन्तजार था। मुझे सच में मज़ा आने लगा और मेरे मुंह से निकल ही गया- राजू ! आह… मज़ा आ रहा है… जरा जोर से चोदो ना…
"हां हां मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है… ये लो…"
उसने एक धक्का जोए से मारा, मेरे मुंह से फ़िर चीख निकल गई," हाइ राजू मैं मर गई"
और जमीन पर थोड़ी खून की बूंदें टपक गई। मैं घबरा गई…"राजू ये क्या हुआ…! ये खून…?"
उसने प्यार से मेरी पीठ सहलाई और कहा," नेहा ! मैं तो समझा था कि तुमने पहले चुदवा रखा है… पर तुम तो पहली बार चुदी हो… सोरी ! मुझे पता होता तो मैं धीरे धीरे ही करता…"
मुझे लगा कि कहीं राजु मुझे चोदना बंद ना कर दे, मैंने एकदम कहा- "नहीं नहीं मज़ा आ रहा है… चोद दो ना… हाय रे…अब आगे तो बढो कुछ्…"
"हां दर्द तो अभी ठीक हो जाएगा।"
राजू ने फ़िर से अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और हौले हौले धक्के मारने लगा। मुझे अब चूत में मीठी मीठी गुदगुदी होने लगी- मेरे मुंह से निकल गया- राजू… लगा ना जोर से धक्का… और जोर से… अब मज़ा आ रहा है।
राजू भी तेजी से करना चाहता था। उसने मुझे गोदी में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया और कूद कर मेरे ऊपर चढ गया। मेरी चूत बहुत ही चिकनी हो गई थी और बहुत सा पानी भी छोड़ रही थी। उसका लण्ड फ़च से अन्दर घुस गया और घुसता ही चला गया। मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई - आह्…घुस गया से… स्…स्… अब रूकना नहीं … चोद दो मुझे…
राजू ने अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। मैं भी नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी।
हाय से मज़ा आ रहा है… लगा … जोर से लगा… ओई उ उईई
हाँ ….मेरी रानी ……ये ले ….येस …..येस …..पूरा ले ले … सी …सी ….”
“राजू …मेरे राजू ….हाय …..फाड़ दे ….मेरी चूत को …… चोद दे …चोद ..दे … सी …
सी …….आअई ईएई ….. ऊऊ ऊऊ ओएई ईई …….”
“कैसा मज़ा आ रहा है …… टांगे और ऊपर उठा लो …हाँ …ये ठीक है …”
उसने अपने आप को और सही पोसिशन में लेते हुए धक्के तेज कर दिए ……
मेरे चूतड़ अपने आप ही तेजी से उछल उछल कर जवाब दे रहे थे .
जोश के मारे मै उसके चूतड हाथ से दबाने लगी . मै उसे अपने से चिपका कर थोडी देर के लिए उसके होंट चूसने लगी . साथ ही मैन अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेड़ मैं घुसा दी.
…धीरे से …. डालना ….”वो हांफता हुआ बोला ….. मैंने और उंगली अन्दर घुसेड दी …. और अन्दर बाहर करने लगी . मैंने महसूस किया …कि उंगली गांड में करने से उसकी उत्तेजना बढ गयी थी …. मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड चूत के अन्दर ही और कड़कने लगा था . मैंने धीरे से अपनी चूत सिकोड़ ली ..उसका लंड मेरी चूत में भिंच गया
. …वो सिसक उठा ……“नेहा ….. हा ….मेरा निकल जाएगा ……”
“तो फिर चोदो ना ….. रुक क्यूँ गए …”
“ पहले मेरा लंड तो छोडो ….हाय ……निकल जाएगा ..ना …”
मैंने चूत ढीली छोड़ दी …मैंने उसकी गांड से उंगली भी बाहर निकल दी . उसने अब मेल इंजन की तरह अपना लंड पेलना शुरू कर दिया . मुझे भी अब तेज गुदगुदी उठने लगी ….हाय ..हाय ….मर गयी ….हाय …चुद गयी ….. मेरे रजा ….. चोद दे ….. अरे …अरे …. लगा .. जोर से …… मेरे रजा .. फाड़ डाल …….अआया …..आ अ अ ……एई एई एई …..मैं गयी …”
“रुक जाओ …अभी नही …..”
“मैं गयी ….. मेरा पानी निकला ……निकला …..निकला ….हाय ययय ययय …… हाय राम ….”मेरी साँस फूल गयी …और मैंने जोर से पानी छोड़ दिया …
“अरे नही …..ये क्या ….. तुम तो ..हो गयी …”
उसने मुझे तुंरत उल्टा करके …..मेरी गांड पर सवार हो गया …मुझे थोडी ही देर मैं लगा कि उसका लंड मेरी गांड के छेद पर था. उसने जोर लगाया और लंड गांड कि गहराइयों में उतरता चला गया.
मेरी चीख निकल गयी …“राजू ….ये क्या कर रहे हो ………निकाल लो प्लीज ..”
प्लीज्… करने दो… मैं झड़ने वाला हूं…
नहीं नहीं लण्ड निकालो…
उसने सुनी अनसुनी कर दी और धक्के लगाता ही गया। मैं दर्द से चीखती ही रही“ बस बस छोड़ दो मुझे, छोड़ दो ना… छोड़ दो….”
मुझे मालूम था…वो मुझे ऐसे नहीं छोड़ने वाला है, मैं तकिये में मुंह दबा कर टांगें और खोल कर पड़ गई। वो धक्के मारता रहा, मेरी गाण्ड चुदती रही। फ़िर.….“ आह मेरी … रानी… मैं गया… मैं गया … हाऽऽऽ स्स निकला आ आ आह म्म्म हय रए…….”
मेरी गाण्ड में उसका गरम गरम लावा भरने लगा। वो मेरी पीठ पर निढाल हो कर गिर गया…मैंने नीचे से अपनी गाण्ड हिला कर उसका ढीला हुआ लण्ड बाहर कर दिया। उसका सारा माल मेरी गाण्ड के छेद से निकल कर बिस्तर पर बहने लगा। राजू करवट लेकर बगल में आ गया।मैं उठी और देखा, उसका पूरा लण्ड मेरे पानी और उसके वीर्य से चिपचिपा हो गया था… मेरी गाण्ड भी वीर्य से लथपथ थी …
मैं सुस्ती छोड़ नहाने चली गई। जब तक नहा कर आई तो राजू जा चुका था। एक कागज की स्लिप पर कुछ लिखा था- “सोरी नेहा….मुझे माफ़ कर देना….मैं अपने आप को रोक नहीं पाया… अगर माफ़ कर दो तो कोलेज में मुझे माफ़ी की मन्जूरी दे देना….राजू”
मैं मुस्कुरा उठी। उसे क्या पता था कि ये उसकी गलती नहीं थी…
मैं खुद ही उस से चुदवाना चाहती थी। बस डर लग रहा था कि ये पहली चुदाई है…जाने क्या होगा.. पर अब मुझे लग रहा है कि ये तो जिन्दगी का लुत्फ़ उठाने का एक शानदार तरीका है।

My Sister's Hot Friend : Dani Woodward


 

Dani's babysiting for her best friends brother who is going through a divorce. He's a little down in the dumps but Dani's got something that may lift his spirits.

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May God Always Raise Your Dickssssssss.......................